Friday 26 July 2013

मौसमी बुखार से निजात पाने के उपाय

बुखार के लिए कुछ घरेलू नुस्खे


इस मौसम के चलते हर घर मे कोई न कोई बुखार से पीड़ित है ही । आए दिन  डाक्टरों के चक्कर लगाने पड़ते है । ऐसे मे कुछ घरेलू नुसख़ों की सहायता से इस समस्या से काफी हद तक निजात पाई जा सकती है ।
1-  एक गिलास पानी पतीले मे चढ़ा दें इसके अंदर दस तुलसी की पत्तियाँ , पाँच काली मिर्च के दाने , एक लौंग , एक चुटकी सेंधव नमक , एक चुटकी अजवाइन कूट कर डाल दें । इसे उबलने दें जब यह उबल कर एक तिहाई बचे उतार कर छान लें । इसमे एक चम्मच शहद मिला कर रोगी को पीने दें । इसमे आप गुड भी मिला सकते है । चीनी न मिलाएँ । दिन मे तीन बार सुबह दोपहर शाम पिलाएँ , यकीन मानिए दो तीन दिन के अंदर उड़ान छु हो जाएगा । और किसी दवा का सहारा भी नहीं लेना पड़ेगा । यदि बुखार के साथ अन्य कोई समस्या है तो डाक्टरी सलाह जरूर लें ।
2-  अधिक तेज बुखार होने पर कच्चे आलू का टुकड़ा लेकर रोगी के तलुओं और हथेली मे रगड़ें , रोगी को खुला रखें उसके सिर पर ठंडी पट्टियाँ रखें ।
3-  पाँच ग्राम इंद्र जौ रात भर पानी मे भिगो कर रखें प्रातः मसल कर छान लें  सुबह शाम पीने को दें ।
4-  बच्चों को बुखार आने पर इन्द्र जौ तवे पर सेंक ले और इसका छिलका उतार लें पीस कर पावडर बना लें और शहद के साथ मिलाकर खिलाएँ
5-  एक गिलास पानी पतीले मे चढ़ा दें इसमे दो तेज पत्ते बारह करी पत्ते डाल दें एक टुकड़ा गुड डाल कर खौला लें आधा रह जाने पर छान लें और थोड़ा कर चाय की तरह पिलाएँ । आराम हो जाएगा ।

नोट :- मात्रा का ध्यान अवश्य रखें ।  

Sunday 5 May 2013

शरीर की कुछ आम बीमारियाँ और उनका घरेलू इलाज

चलिये आज कुछ छोटी मोटी बीमारियों के बारे बात करते हैं ।

कब्ज :- पेट साफ न होना, भूख न लगना, पेट मे भारी पन कब्ज के लक्षण है।

कारण :- भोजन ठीक तरह से चबाया न गया हो, या समय पर न किया गया हो, शारीरिक परिश्रम नहीं करने पर, अधिक चाय, काफी, शराब, तली भुनी चीजें, खट्टी चटपटी चीजें, सेवन करने से तथा आंतों व लीवर मे गड़बड़ी होने पर कब्ज हो जाती है । 

निदान :- काला नमक और छोटी हर्र का चूर्ण बना कर रख लें रोज सुबह शाम एक छोटी चम्मच गरम पानी से लें। रेशेदार भोज्य पदार्थों का सेवन करें। चाय, काफी, शराब, खट्टी चटपटी वस्तुएं न खाएं । सोते समय  बिना चीनी का गरम दूध लें , सुबह पेट खुल कर साफ हो जाएगा ।  

नोट :- अल्सर से ग्रसित रोगी उपरोक्त नुस्खे का सेवन न करें यदि दूध लेना चाहे तो ले सकते हैं। ऐसे रोगी डाक्टरी सलाह से कुछ भी लें तो बेहतर रहेगा ।


एसिडिटी :- इस रोग मे खट्टी डकारें आती है पेट से लेकर गले तक जलन होती है प्रायः पित्त अधिक बढ़ जाने पर रोगी उल्टियाँ करने लगता है बार बार शौच के लिए जाता है किन्तु आराम नहीं मिलता । 


कारण :-   अधिक तेल मसाले दार भोजन, अधपका मांसाहार , लाल मिर्च का सेवन चाय ,काफी ,शराब इत्यादि पित्त को बढ़ाने मे सहायक होती हैं ।

निदान :- त्रिफला 300 ग्राम, खाने वाला सोडा 25 ग्राम , नींबू का रस 12 ग्राम , काला नमक 25 ग्राम सारी सामग्री को कूट पीस कर कपड़ छान कर शीशी मे भर कर रख लें। रात मे 10 ग्राम चूर्ण पानी मे भिगो कर रख दें । सुबह छान कर पी लें । इसका सेवन करने के एक घंटे के बाद ही कुछ खाएं या पिये । ठंडा दूध ,चावल, हरी पत्ते दार सब्जियाँ , मीठे फल खाएं । भारी, तीखी, तेज मसाले दार चीजें न खाएं । 

नोट :- जिनकी आंतों मे फोड़ा हो वे नुस्खे का प्रयोग न करें । 


भूख न लगना :-  किसी बीमारी वश या मानसिक तनाव के कारण , अत्यंत थकान के कारण मंदाग्नि पैदा हो जाती है जिससे यह समस्या उत्पन्न होती है ।

निदान :- पके सेब के रस मे मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है।

नोट :- डायबिटीज़ के रोगी इसका सेवन न करे।


साधारण ज्वर :-  ऋतु परिवर्तन , गरम ठंडा हो जाने से, वर्षा मे भीग जाने से और किसी अन्य कारण से भी बुखार हो जाता है । 

निदान :- शहद 6 ग्राम ,  बंगला पान का रस 6 ग्राम , अदरक का रस 6 ग्राम तीनों मिलाकर दवा सुबह शाम ले  बुखार उतर जाएगा। 

नोट :- अम्ल पित्त के रोगी इस नुस्खे का सेवन न करें । 

रक्ताल्पता :-  किसी संक्रामक रोग के होने पर , लीवर और तिल्ली की गड़बड़ी होने पर , रक्तस्राव   होने पर , पौष्टिक भोजन की कमी होने से यह समस्या हो जाती है । इसमे रोगी के नाखून और चेहरा पीला पड़ जाता है आंखे धँसी सी लगती हैं ।

निदान :-  टमाटर के 100 ग्राम रस मे काला नमक मिलकर सुबह शाम पीने से रक्ताल्पता दूर होती है । चुकंदर का रस 50 ग्राम गाजर का रस 50 ग्राम मिलाकर काला नमक मिला ले और सुबह शाम पिये । और भोजन को नियमित करें, इसमे लौह तत्त्वों वाली सब्जियों तथा फलों को शामिल करें। डाक्टरी सहायता से एनीमिया के कारणों को दूर करने का प्रयास करें ।


बच्चों की सर्दी :-  ठंडी चीजों को खाने से, बारिश मे भीगने से, अधिक बर्फ या आइसक्रीम खाने से ,  बच्चों को सर्दी हो जाती है ।

निदान:-  आधा चम्मच अदरक का रस , आधा चम्मच शहद मिलकर सुबह शाम  दें। एक बादाम चार कालीमिर्च चबाकर खिलाएँ । दस तुलसी की पत्तियाँ, काली मिर्च चार दाने कूट कर , गुड , अदरक , एक चुटकी सेंधा नमक  एक गिलास पानी उबाल लें आधा रह जाने पर काढ़ा छान कर रोगी को सुबह शाम  दें तुरंत आराम मिलेगा । 

नोट : - एसिडिटी वाले रोगियों के लिए काढ़ा बनाते समय कालीमिर्च न  डालें ।  






Tuesday 23 April 2013

छुट्टियाँ मनाने जाने से पहले और मनाने तक

गरमियाँ आते ही कई नई योजनाएँ बननी आरंभ हो जाती है , चलो कहीं घूमने चले का शोर शुरू हो जाता है , बच्चे अपनी छुट्टियों का बेसब्री से इंतजार करने लगते है । लेकिन इन्ही महीनों मे इन्फेक्शन से होने वाली बीमारियाँ भी सबसे ज्यादा होती है । छोटे बच्चों व किशोरों मे इस तरह की बीमारियाँ कुछ ज्यादा ही होती है। बच्चों को उल्टी सीधी चीजें खाना बहुत भाता है इसलिए उनका इस मौसम मे अधिक ध्यान रखना पड़ता है । गर्मियों मे मौसमी फलों व सब्जियों की भरमार रहती है जगह जगह फलों के जूस की दुकाने लगी रहती जहां उपलब्ध फलों की पूरी तरह सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता और उन्हे सूखने से बचाने के लिए गंदा पानी भी छिड़का जाता है जिनसे किटाणु पनपते है और रोगो के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है । तेज गरमी से राहत पाने के लिए लोग ठंडे पानी और बरफ , आइसक्रीम , कुल्फी इत्यादि की ओर भागते है ये सभी चीजे हानिकारक है क्योंकि ये सभी अत्यंत निम्न श्रेणी की चीजों से बनाई जाती है । भारत भर मे सड़कों के किनारे पानी ठेले दिखाई देते है, चिलचिलाती धूप मे प्यास बुझाने के लिए व्यक्ति इनकी ओर दौड़ता है और प्यास बुझा लेता है। लेकिन इसी पानी के एक गिलास के साथ वो तमाम किटाणु भी पी जाता है , क्योकि जल्दी मे गिलासों को ठीक से धोया भी नहीं जाता है । छुट्टीयां  मनाने किसी स्थान पर भी जाएँ लेकिन खाना पानी शुद्ध नहीं हो पाता है।  

इन  सब संक्रमण से बचने के लिए तरीके बड़े आसान और साधारण है - 

1) घर का बना  भोजन साथ मे रखें, बिस्कुट,  सैंडविच, और अन्य चीजें भी जो घर मे ही  तैयार की गई हो साथ मे ले जाएँ ।
2) पीने का पानी तो अवश्य साथ मे ले जाएँ इसके लिए फ्लास्क का इस्तेमाल करें खत्म हो जाने की स्थिति मे दुबारा किसी साफ नलके से भर लें और दो बूंद टिंचर आयोडिन मिला दें जो दवा की दुकानों पर उपलब्ध होते है ले ले और शीशी साथ रखेँ , यूं तो बाजार मे तमाम मिनरल वाटर की कंपनियाँ मौजूद हैं पर एक बोतल पानी तो यूं लगता है रेत मे दो बूंद का छिड़काव । 

3) किसी ऐसी जगह होने पर जहां पानी कम मिलता है और दूषित पानी होने पर आप चाय का इस्तेमाल कर सकते है। अन्य पेय पदार्थों  को साथ ले सकते है जो शुद्ध हो।  

4)यदि कोई शिशु साथ मे है तो उबले हुये  पानी और दूध की पर्याप्त  मात्रा साथ मे रखे ताकि यहाँ वहाँ भटकना न पड़े । 

5) कुछ दवाइयाँ जैसे बुखार , मितली , दस्त , इन्फेक्शन, सर दर्द  की और कुछ  ओ आर एस के पैकेट साथ मे रखें । 

6) साफ सफाई से बना भोजन करें , खुले स्थानो से लेकर कुछ भी न खाये और अपनी छुट्टियाँ मौज से मनाएँ ।        

Monday 22 April 2013

शहद के औषधीय गुण

1) एक छोटा चम्मच शहद मे एक बादाम घिस कर मिला लें और रोज  छोटे बच्चों को चटा देने से वे मजबूत कांतिवान मोटे हो जाते है । 

2) बच्चों को खांसी होने पर एक चम्मच शहद मे एक चुटकी हल्दी मिलाकर सोते समय व सुबह खाली पेट चटा दे दो तीन दिनों मे खांसी गायब हो जाएगी । इस नुस्खे  को बडे भी आजमा सकते हैं।

3) शहद मे अदरक का रस और एक चुटकी दालचीनी पावडर मिलाकर चाटने से जोड़ों मे आराम मिलता है । खांसी होने पर भी इस प्रयोग को आजमाए सौ प्रतिशत आराम मिल जाएगा । 

4) भोजन से अरुचि होने पर एक चम्मच खट्टे अनार का रस और एक बड़ा चम्मच शहद और सेंधा नमक  मिलाकर खिलाने से भोजन मे रुचि पैदा हो जाती है । 

5) एक चुटकी छोटी हरड़ का पावडर और एक चम्मच शहद मिलाकर खाने से अम्ल पित्त शांत हो जाता है ।
6) आधा नींबू का रस एक चम्मच शहद मिलाकर  चाट  लें अम्ल पित्त मे आराम हो जाएगा ।

7) नींबू के पत्तों का रस और शहद समान मात्रा मे लेकर खिलाने से पेट के कीड़े मर जाते है ।

8) त्रिफला एक छोटी चम्मच और  एक चम्मच शहद मिलाकर रात्री के समय खाने के बाद  चाट लिया करें और ऊपर से दूध पी लें , पेट के सभी रोगों से छुटकारा मिल जाएगा ।

9) बीस ग्राम शहद दस ग्राम गाय का मक्खन मिलाकर दिन मे दो बार खाने से टी बी रोग ठीक हो जाता है ।

10) अकरकरा का चूर्ण एक ग्राम दस ग्राम शहद मिलाकर चाटने से हिचकी दूर हो जाती है ।

11) शहद और दो बूंद नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की कांति लौट  आती है। 

12) एक चम्मच प्याज का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर बालों पर लगाने से बाल झड़ना बंद हो जाते हैं ।  

Friday 5 April 2013

बालों के लिए कुछ खास नुस्खे

खूबसूतरत बाल व्यक्ति की खूबसूरती मे इजाफा तो करते ही है साथ ही मानसिक संतुष्टि भी देते है। वरन जिनके बाल झड रहे होते है या कम होते है उनकी मनःस्थिति का अंदाजा लगाना कठिन होता है । पिछले लेख मे मैंने बालों की साफ सफाई के विषय मे बताया था आज प्रस्तुत है झड़ने से रोकने के उपाय :-

1) एक प्याज का रस एक छोटा चम्मच शहद दोनों मिला कर बालों की जड़ों मे हल्के हाथ से मसलें, करीब आधे घंटे तक मालिश करें, सूखने पर हर्बल शैम्पू से धो दें, ।

2) जवा कुसुम और गुलाब की  पत्तियाँ समान मात्रा मे लेकर पेस्ट बना लें इस पेस्ट को बालों पर लगा कर एक घंटा सूखने के लिए छोड़ दें फिर हर्बल शैंपू से बालों को धो दें। एक महिना लगातार करने से बाल झड़ना बंद हो जाता है । 
3)  बेल की पत्तियाँ पीस कर लगाने से  बाल झड़ना बंद हो जाता है। बाजारी शैम्पू की बजाय हर्बल शैंपू लगाएँ । शैंपू बनाने की विधि पिछले लेख मे मैंने लिखी है । 
4) एक या दो अंडा ( अपने बालों  की लंबाई के हिसाब से ) लेकर उसका पीला भाग निकाल लें फेंट कर उन जगहों पर लगाएँ जहां के बाल ज्यादा कम हैं सूखने के बाद बाकी बचा हुआ सफ़ेद हिस्सा एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर बालों पर लगा लें एक घंटे के बाद धो दें । बालों मे चमक भी आ जाएगी और बाल झड़ना बंद हो जायेगा। 
5) बथुआ के पत्ते और पालक के पत्ते उबालने के बाद जो  पानी बच रहता है उसका प्रयोग बालों को धोने के लिए करें बाल झड़ेंगे भी नहीं और असमय सफ़ेद भी नहीं होंगे । 

6) गाजर का जूस निकालने के बाद जो  भूसी बच जाती है उसका प्रयोग आप बालों के लिए करें । इसको थोड़ा पानी डालकर पेस्ट बना लें इसमे आंवला रस मिला लें और बालो पर लगा दें सूखने पर ही धोयेँ।      

खान पान मे सुधार करें हरी सब्जियाँ , दाल , फल इत्यादि भोजन में शामिल करें , जंक फूड तेलीय फूड को बाय कहें सुंदर त्वचा और सुंदर बालों के स्वामी बनें ।

Wednesday 3 April 2013

गर्मियों मे बालों की उचित देखभाल

गर्मियों मे यदि बालों की उचित देखभाल न हो तो बाल बेजान, रूखे और दो मुंहे हो जाते है । कुछ नुस्खे बालों को बीमार होने से बचाने के लिए प्रस्तुत है आशा है आप लाभान्वित अवश्य होंगे । 1)  गर्मी के मौसम मे पसीना बहुत आता है तथा धूल भी बहुत उड़ती है जिससे बाल गंदे हो जाते है इसके लिए बालों की साफ सफाई बेहद जरूरी है । 
2) यदि बाल बहुत बड़े है तो सप्ताह मे कम से कम तीन चार बार बालों को  शैंपू करें । इसके लिए आप घर मे भी शैंपू तैयार कर सकते हैं :- बाजार से रीठा ,आंवला , शिकाकाई समान मात्रा मे ले लें इसे कूट पीस कर कपड़ छान कर लें इसे एक डिब्बे मे भर कर रख लें , बाल धोने से आधा घंटा पहले पानी मे भिगो कर रख दे इसे बालो मे लगा कर छोड़  दें आधे घंटे बाद मसल कर सादे पानी से बाल धो दें। बाल चमकीले मुलायम और काले बने रहेंगे ।
   
3)  सप्ताह मे दो बार कन्डीशनिंग करें। इसके लिए मेंहदी पावडर ,आंवला पावडर , शिकाकाई पावडर , सभी एक एक टेबल स्पून लेकर चाय के पानी मे भिगो  दें और लगते समय  दही एक बड़ा चम्मच , एक टी स्पून शहद , एक अंडा फेंट कर मिला लें बालों की जड़ों तक अच्छे से लगा कर दो घंटे के लिए छोड़ दें। इसके बाद नींबू या इमली के पानी से बाल धो दें । शैंपू न करें । शैंपू करने से पहले बालो मे तेल की मालिश करें । 

4)  खट्टा दही और एक बड़ा चम्मच शहद मिलाकर फेंट लें इसमे एक चम्मच नारियल का तेल मिला लें इस कंडीशनर को बालों मे जड़ों तक अच्छी तरह लगा लें  सूख जाने तक लगा रहने दें फिर ठंडे पानी से धो  दें  ध्यान  रखेँ की बालों को गरम या गुनगुने पानी से न धोएँ अन्यथा बाल झड़ने लगते है । 

5) आधा कटोरी इमली का रस एक बड़ा चम्मच नारियल का तेल मिलाकर बालों पर लगाए बाल झड़ना  बंद हो जायेंगे । 
6) चाय का पानी बना लें इससे बाल धोये बालों का सबसे  बढ़िया टॉनिक है । 
7) बालों की रूसी को दूर करने के लिए एक चम्मच  अरहर की पानी मे एक घंटे भिगो दें और पीस लें इसमें एक चम्मच जैतून का तेल मिलाकर बालों पर लगा कर दो से तीन घंटे के लिए छोड दें फिर शैंपू कर ले लेकिन शैंपू हर्बल ही हो तो ज्यादा अच्छा है वरना रूसी बढ्ने का खतरा रहता है ।  

8) नींबू का रस और सरसों का  तेल समान मात्रा मे लें अच्छी तरह फेंट लें ये पेस्ट बालों पर लगा दें एक घंटे बाद धो दें । दस बारह दिन तक करने से रूसी खत्म हो जाती है । 

नोट :- इन प्रयोगों को आजमाते वक्त बाजार के शैंपू का प्रयोग बिलकुल न करें ।        

Sunday 31 March 2013

गर्मियों के लिए उचित आहार विहार की चर्या

आजकल हम आप देख ही रहे है कि भोजन शैली बड़ी ही विचित्र हो चुकी है। कुछ भी खा कर पेट भरने से मतलब वाली शैली ने पेट के रोगों को बढ़ावा दिया है। इस विषय पर हम विस्तार से चर्चा करेंगे।
हमारे पाचन तंत्र को मौसम के अनुरूप आहार विहार की आवश्यकता होती है तभी हमारा पाचन तंत्र हमारे शरीर को स्वस्थ व निरोगी रखने मे सहायक हो पाता है। इसी संबंध मे " अष्टांग हृदय सूत्र " मे कहा भी गया है -

" शीते वर्षासु चाद्दांख्रीन् वसंतेअन्त्यान् रसान् भजेत् ।
  स्वादुं निदाघे, शरदि स्वादुतिक्त कषाय कान् ॥
  शरद् वसंत्यो रूक्षं शीतं धर्मघनांत्योः।
   अन्नपानं समासेन विपरीतमतोन्यदा ॥"

अर्थात :- शीत ऋतु (हेमंत और शिशिर) एवं वर्षा ऋतु मे मधुर, अम्ल, और लवण वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए। वसंत ऋतु मे तिक्त (चरपरे), कटु (कडवे), और कषाय(कसैले) रस वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए। ग्रीष्म ऋतु मे मधुर, तिक्त और कषाय रस वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

 संक्षेप मे स्वास्थ्य की रक्षा के लिए ऐसा ऋतु अनुकूल आहार विहार करना चाहिए।

 यहाँ गर्मियों के आहार विहार की चर्चा करेंगे, क्योकि इस मौसम मे हमारे शरीर का पानी पसीने के रूप मे निकल जाता है अतः जलीय पदार्थों का सेवन अधिक मात्रा मे करना चाहिए, ताकि शरीर मे शीतलता और तरावट बनी रहे । इसके लिए -
1) सुबह खाली पेट दो से तीन गिलास पानी पियें, यदि खाली पेट पानी न पीते हो या न पी पाते हों तो एक कप पानी से शुरू करें धीरे धीरे बढ़ाते जाएँ । इससे पेट साफ रहेगा और वायु तथा अम्ल  रोगों की संभावना कम होगी ।

2) दिन मे बिना प्यास के भी दस से बारह बार पानी पीना चाहिए, घर से बाहर निकलते वक्त भी पानी पीकर ही निकलना चाहिए। इससे शरीर मे पानी की कमी नहीं होती और लू भी नहीं लगती । 

3) तरबूज , खरबूज , ककड़ी , खीरे , टमाटर , प्याज , लौकी, तोरई , परवल का सेवन अवश्य करना चाहिए । 

4) तली भुनी चीजें , मिर्च मसालेदार और भारी गरिष्ठ भोजन का त्याग ही उचित रहता है। 

5) गर्मियों मे शाम का भोजन ताजा, हल्का, सुपाच्य और थोड़ी कम मात्रा मे ही करना चाहिए क्योंकि इस ऋतु मे रातें छोटी होती है और पाचन क्रिया को उतना समय नहीं मिलता जितना शीत ऋतु मे मिलता था ।

6) रात को देर रात भोजन नहीं करना चाहिए भोजन का समय बदल लें नौ बजे तक भोजन कर लें फिर चाहे सौ कदम ही टहलें पर टहलें ।

7) देर रात जागना पड़े पड़े तो कुछ खाते रहने की बजाय पानी पीते रहें ताकि पेट मे उष्णता न होने पाये । कुछ खाना ही चाहें तो फ्रूट ज्यूस पी लें या मुरमुरा (लइया)  प्याज ,टमाटर हरी धनिया के साथ भेल बना ले इसे खाएं ।