Monday 11 February 2013

रसोई के झरोखे से

लौकी

सब्‍जी के रुप में खाए जाने वाली लौकी हमारे शरीर के कई रोगों को दूर करने में सहायक होती है। यह बेल पर पैदा होती है और कुछ ही समय में काफी बड़ी हो जाती है। वास्‍तव में यह एक औषधि है और इसका उपयोग हजारों रोगियों पर सलाद के रूप में अथवा रस निकालकर या सब्‍जी के रुप में एक लंबे समय से किया जाता रहा है।
लौकी को कच्‍चा भी खाया जाता है, यह पेट साफ करने में भी बड़ा लाभदायक साबित होती है और शरीर को स्‍वस्‍य और शुद्ध भी बनाती है। लंबी तथा गोल दोनों प्रकार की लौकी वीर्यवर्धक, पित्‍त तथा कफनाशक और धातु को पुष्‍ट करने वाली होती है। आइए इसकी औषधीय गुणों पर एक नज़र डालते हैं-

 हैजा होने पर 25 एमएल लौकी के रस में आधा नींबू का रस मिलाकर धीरे-धीरे पिएं। इससे मूत्र बहुत आता है।

खांसी, टीबी, सीने में जलन आदि में भी लौकी बहुत उपयोगी होती है।
हृदय रोग में, विशेषकर भोजन के पश्‍चात एक कप लौकी के रस में थोडी सी काली मिर्च और पुदीना डालकर पीने से हृदय रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
लौकी में श्रेष्‍ठ किस्‍म का पोटेशियम प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिसकी वजह से यह गुर्दे के रोगों में बहुत उपयोगी है और इससे पेशाब खुलकर आता है।
लौकी श्‍लेषमा रहित आहार है। इसमें खनिज लवण अच्‍छी मात्रा में मिलती है।
लौकी के बीज का तेल कोलेस्‍ट्रॉल को कम करता है तथा हृदय को शक्‍ति देता है। यह रक्‍त की नाडि़यों को भी स्‍वस्‍थ बनाता है। लौकी का उपयोग आंतों की कमजोरी, कब्‍ज, पीलिया, उच्‍च रक्‍तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, शरीर में जलन या मानसिक उत्‍तेजना आदि में बहुत उपयोगी है।

रसोई के झरोखे से

गाजर

गाजर जमीन के अंदर बैठने वाला कन्द है। इसकी जड़ें जमीन से खाद्य पदार्थ संग्रह करके कन्द के रूप में रुपान्तरित हो जाती हैं। यह मंडूकपर्णी कुल का वनस्पति है। इसका वैज्ञानिक नाम डाउकस करौटा है। यह शीत ऋतु का सस्ता, सुलभ और गुणकारी आहार है। यदि शीत ऋतु में इसका नियमित सेवन किया जाय तो अनेकों रोगों से हमारी रक्षा होगी तथा शारीरिक सौंदर्य भी बढ़ेगा। इस गुणकारी आहार के कुछ चमत्कारिक उपयोग नीचे दिए जा रहे हैं -
 * गाजर में फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है जो आंतों को साफ करता है। यदि नियमित रूप से गाजर चबा चबाकर खाया जाय तो कब्ज तथा आंतों में सड़न से छुटकारा मिलता है। आंतों में मल निकल कर आंतें साफ हो जाती हैं।
* गाजर विटामिन का भंडार है। इसे नियमित रूप से सेवन किय जाय तो आंखों की ज्योति बढ़ती है। चश्मा उतर जाता है।
* गाजर नित्य चबाकर खाने या उसका रस पीने से बवासीर दूर होती है।
* रोज एक गिलास गाजर का रस पिया जाये तो स्मरण शक्ति बढ़ती है तथा असमय बुढ़ापा नहीं आता।
* गाजर के सेवन से छाती व गर्दन के सफेद दाग में लाभ मिलता है।
* गाजर के रस में उससे आधी मात्रा पालक का रस तथा थोड़ा नमक व जीरा मिलाकर पीने से मधुमेह में लाभ मिलता है।
* भोजन के बाद गाजर का रस पीने से दंत क्षय तथा मसूड़ों से रक्त आना बंद हो जाता है। दांतों की चमक बढ़ती है। गाजर का रस एक बढ़िया माउथवाश है।
* रोज एक गाजर खाने से मूत्र संस्थान की पथरी में लाभ मिलता है। मूत्रावरोध दूर होकर पेशाब खुलकर आता है।
* इसके सेवन से बुढ़ापे की कमजोरी दूर होकर शरीर में शक्ति बढ़ती हैं। इसका रस पीने से पोलियो के रोगी को लाभ मिलता है।
* मुंह में छाले होने पर गाजर का रस मुंह में घुमा कर फिर पिएं। छाले शीघ्र ठीक हो जाएंगे।
* यदि प्रसूता का दूध कम हो रहा हो तो उसे रोज गाजर का खूब सेवन कराना चाहिए। इससे दूध की मात्रा बढ़ जाएगी।
* गाजर के रस में मिश्री एवं काली मिर्च मिलाकर सेवन करने से खांसी एवं कफ दूर होता है।
* गाजर में विटामिन बीकॉम्प्लेक्स भरपूर मात्रा में होता है। इससे पाचन संस्थान मजबूत बनता है। बच्चों को इसका रस सेवन कराने से वे तन्दुरुस्त व स्वस्थ होते हैं।
* गाजर के सेवन से मानसिक और शारीरिक शक्ति मिलती है। जीवन में नई उमंग का संचार होता है।
* गाजर का प्रभाव गर्भाशय पर भी पड़ता है। इसके सेवन से गर्भाशय के दूषित पदार्थ बाहर निकल जाते हैं तथा रोगी को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
* गाजर रक्त को शुध्द करता है। रक्त की अम्लता और क्षारीयता के अनुपात को संतुलित रखता है जिससे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृध्दि होती है।सर्दियों का मौसम आते ही इस मौसम की रंग-बिरंगी सब्जि़यों के सेवन का मज़ा ही कुछ और है। चाहे बात गाज़र की ही क्यों ना करें, सर्दियों में इसे खाने के अपने ही फायदे हैं। गाज़र के मीठेपन को लेकर आपको कैलोरी की चिंता करने की भी ज़रूरत नहीं क्योंकि इसमें बहुत कम मात्रा में कैलोरी होती है।
 गाज़र के जूस में मिनेरल्स, विटामिन्स और विटामिन ए पाया जाता है, इसलिए इसे त्वचा और आंखों के लिए अच्छा माना जाता है। गाज़र का प्रयोग आप सूप बनाने, सब्जि़यों, हल्वे और सलाद के रूप में भी कर सकते हैं।