Tuesday 12 February 2013

फलों का राजा आम

मेरा सर्वाधिक प्रिय फल है आम । वैसे आम गर्मियों का एक  सर्वप्रिय फल है , यह मधुर स्वाद और पौष्टिक गुणों से भरपूर होने
के कारण सेहत के लिए लाभप्रद है , प्राचीन कल से ही वैद्य हक़ीमों ने एक उत्तम औषधि का दर्जा दे रखा है , क्योंकि इसकी  बदौलत छोटे मोटे रोग ठीक किए जा सकते है । वैसे यह और  सौंदर्य का खजाना भी है ।

गर्मियों में इसके नियमित सेवन से दांत मजबूत होते है , खून साफ होता है , चेहरे पर आभा निखरने लगती है ।

इस फल की गुठलियाँ और पत्तियाँ भी अपने आप मे ढेरों गुण समेटे हुए है इसलिए "आम के आम और गुठलियों के दाम " की कहावत कही जाती है । आइए जाने इसके ढेरों गुण जो सेहत के लिए खरे साबित हुये है ।

हैजा होने पर आम की कोमल पत्तियों के डंठल को तीन कालीमिर्च के साथ पीस कर छोटी छोटी गोलियां बना लें । इन गोलियों को दिन मे तीन बार सेवन करें काफी आराम मिलेगा ।

गर्मियों मे बच्चों के शरीर पर फुंसियाँ निकालना शुरू हो जाती है , इन पर आम की पत्तियों का रस मलें फोड़े फुंसियाँ जड़ से गायब हो जाएंगे ।

बलतोड़ फोड़ा होने पर आम की गुठली का लेप दिन मे तीन बार लगाएँ । फोड़ा चंद दिनों मे ही गायब हो जाएगा ।

यदि उल्टी शिकायत हो तो आम की पत्तियों का काढ़ा बना कर शहद के साथ सेवन करे , लाभ सुनिश्चित है ।

गर्भवती स्त्रियॉं यदि अधिक मात्रा मे आम चूस कर खाती है तो होने वाले बच्चे का रंग साफ होता है ।

जब शिशु सात आठ माह का हो जाए तो उसे प्रतिदिन नियमित एक चम्मच  मीठे आम का रस पिलाएँ इससे उसका पेट भी साफ रहेगा और भूख भी खुल कर लगेगी ।

बच्चों के पेट मे अक्सर कीड़े पड़ जाते है ऐसे मे भुनी गुठली और काला नमक का चूर्ण बना लें और गुनगुने पानी के साथ खिलाएँ । इससे जो कीड़े पेट मे पड़ गए है वो निकल जाएंगे और दोबारा नहीं पड़ेंगे ।

आम और जामुन की पत्तियों के दस ग्राम रस मे गाय का पाँच ग्राम शुद्ध दूध मे मिलकर एक हफ्ते लगातार पीने से बवासीर ( पाइल्स ) मे आराम मिलता है । पहले प्रयोग आजमा कर देख लें उसके बाद समस्या से छुटकारा मिलने तक पीते रहे ।

कान मे दर्द होने पर , आम की तीन चार पत्तियाँ तोड़ कर रस निकालें और हल्का सा गरम कर लें तब कान मे डालें इससे कान का दर्द दूर होकर आराम मिलता है तथा मैल भी फूल कर ऊपर आ जाता है ।

दांतों की मजबूती के लिए इसकी सूखी गुठली का पावडर बना कर तैयार कर लें । सुबह शाम इस पावडर से दांत साफ करने से दांत मजबूत होते है , मसूड़ों की बीमारियाँ भी दूर हो जाती है , मुख से दुर्गंध आना बंद हो जाती है ।

आम की पत्तियों का रस दाँतो पर मलने से पायरिया  दूर हो जाता है ।

भंग का नशा दूर करने के लिए इसकी गुठलियों को ठंडे  जल  मे घिस कर पिलाने से नशा दूर हो जाता है ।

आम के रस मे एक चम्मच दूध व शहद मिलाकर लेप करने से त्वचा कांतिमय हो जाती है ।

आम की गुठली का तेल मुहाँसे और झाईं पर मलने से चेहरे के दाग दूर होते है और नियमित मालिश करने से चेहरा कांतिमय बना रहता है ।

सिर की जूएँ नष्ट करने के लिए आम के वृक्ष की छाल व आम की सूखी गुठली पीस कर बारीक पावडर तैयार करें । इस पावडर मे नींबू का रस डाल कर , सिर मे मलें , जुंये पड़ना बंद हो जाएंगी ।

तो हो जाए इस गर्मियों मे आम के आम और गुठलियों के दाम ।

 जब भी गुठलियों का इस्तेमाल करे तो उसे छील लें और अंदर की गिरी निकाल लें तब इस्तेमाल करें ।

आज बात करेंगे लाइपोमा की ।

लाइपोमा

इसके लिए नुस्खे बताने से पूर्व मै आप से इस समस्या के विषय मे कुछ बताना चाहूंगी । मूलतः देखा गया है कि यह समस्या मोटे थुलथुले शरीर वाले लोगों मे हो जाती है और यह 40 से 50 की उम्र  मे हो जाया करती है । यह एक तरह का  ट्यूमर है जो हमारी त्वचा के निचली परतों मे  चर्बी की गांठों के रूप मे जमा हो जाती है । जिन जगहों पर ये गांठें होती है वहाँ पर सूजन आ  जाती है वहाँ की त्वचा लाल रहती है वह जगह  छूने  पर गरम लगती है और पिलपिली सी महसूस होती है । ज़्यादातर ये बिना दर्द की होती है किन्तु कभी कभार किन्ही कारणों से या काम के प्रेशर के कारण मरीज को कांसटेंट पेन की शिकायत करते हुये भी देखा गया है ।

ये गांठें शरीर मे घूमती रहती है और समय रहते पता लग जाने पर इनको डीप  मसाज थेरेपी द्वारा इलाज दिया जा सकता है । इससे रक्त संचार सुचारु रूप से होने लगता है जो काफी हद तक  लाभ कारी सिद्ध होता है ।

इस समस्या के रोगियों को तांबा काफी फायदेमंद होता है । तांबे के बर्तन मे जल भर कर रात भर के लिए छोड़ दें सुबह खाली पेट दो से तीन गिलास पानी पिये ।   

नींबू का रस भी शरीर से फैट टॉक्सिन निकालने मे सहायता करता है । आधा टी स्पून नींबू का रस एक गिलास गुनगने जल मे मिला कर भोजन के बाद लें ।

चिकविड ( बुच्बुचा ) का पौधा घर मे लगाएँ और  रोज सुबह खाली पेट उसके ताजे फूल चार पाँच खा लें ।

चिकविड तेल बाजार मे मिलता है , ले आयें और रोजाना मालिश करें ।

एलोवेरा को अपनी दिनचर्या मे निर्बाध रूप से शामिल करें । जूस को पीने के लिए , ज़ेल को मालिश के लिए , ताजे एलोवेरा के  दो इंच टुकड़े  को छील कर दो गिलास जल मे उबाल ले आधा रह जाने पर पी लें । निसंदेह लाभ होगा ।

काषाय स्वाद के फल और सब्जियों का प्रयोग अधिक मात्रा मे करें । जैसे :- आंवला , करेला , मेथी  की पत्तियाँ , नीम की निंबौरी ।

एक टेबल स्पून अजवायन , एक टेबल स्पून जीरा , आधा टेबल स्पून मेथी , एक टी स्पून काली मिर्च , एक टेबल स्पून सोंठ का पावडर , एक टी स्पून हल्दी पावडर , एक टेबल स्पून आंवला पावडर  चार छोटी हरड़ सब सामाग्री लेकर रख लें । जो पीसी वस्तुएँ है उन्हे अलग रख लें जो बिना पीसी है उन्हे तवे पर सेक कर पावडर बना लें अब पीसी हुई चीजों को भी सेक लें ध्यान रखें कि वे हल्की गुलाबी ही हों वरना जल जाएंगी और स्वाद भी खराब हो जाएगा । सारी सामाग्री एक साथ मिला लें एक काँच कि शीशी मे भर लें । रोज सुबह खाली पेट और रात को सोते समय एक टी स्पून पावडर एक गुनगुने जल से ले । अवश्य लाभ होगा ।

भोजन मे तली भुनी चीजें , बाजार के खाने , कोल्ड ड्रिंक , काफी , मीठे फल , तेल ,  घी से परहेज करे ।

याद रखें कि यह थेरेपी थोड़ा समय लेती है , इसलिए धैर्य के साथ पालन करें । लाभ अवश्य होगा ।

 यदि समय रहते पता चल जाए तो उनका इलाज संभव है , यदि समस्या काफी पुरानी है तो डाक्टर  की सलाह लेना आवश्यक है ।