Saturday 2 March 2013

प्राथमिक उपचार - 3

पिछले लेख मे आँख के विषय मे बताया था आज बात करेंगे नाक और  कान  की ।

कई बार हम सबने देखा है कि खेल ही खेल मे अक्सर बच्चे पेंसिल ,पेन , बेर या इमली के बीज या चाक का टुकड़ा , कोई कंकड़ , मोती इस तरह की कोई भी नुकसानदेह चीज नाक मे घुसा लेते है ऐसे मे माँ का क्या हाल होता है यह भुक्त भोगी माँ ही समझ  पाती है । बच्चा तो कष्ट झेलता ही है साथ मे घर के लोग भी बेहद परेशान हो जाते है जो कि स्वाभाविक है ।

ऐसे मे कभी भी स्वयम निकालने का प्रयास न करें । सिर्फ इतना करें कि जिस बच्चे की नाक मे इनमे से कुछ भी चला हो तो बच्चे की नाक मे दो बूंद सरसों का तेल टपका दे , सिर्फ दो बूंद ही इससे ज्यादा नहीं । इससे बच्चे को छींक आ जाएगी और जो चीज नाक मे होगी वह बाहर निकल आएगी ।

दूसरा यह करें कि बच्चे को नीचे झुका कर पीठ पर ज़ोर से थपथपा दें । यदि इन दोनों उपचार करने पर नाक की घुसी हुई चीज बाहर न निकले तो बिना समय गँवाए डाक्टर को दिखाएं ।

कान मे भी यदि कोई चीज घुस गई है तो भी सरसों का तेल दो बूंद टपका दे फिर ट्विजर की सहायता से निकाल लें यदि न कर सके तो बिना समय गँवाए डाक्टरी सहयता लें  यदि कोई  कीड़ा घुस जाए तो सरसों का तेल   गुनगुना कर दो बूंद टपका दे और डाक्टर को दिखाएँ इससे यह होगा कि  कीड़ा कान को नुकसान नहीं पहूँचा पाएगा । 

कान मे ठंड की वजह से दर्द होने पर एक टी स्पून मेथी को आधा  कप पानी मे उबाल ले जब पानी चौथाई रह जाए तब उतार लें और गुनगुना  ही कान मे ड्रापर  की सहायता से दो या तीन बूंद डाले । परंतु ये ध्यान रखें कि पानी अधिक गरम न हो इसके लिए आप इसे अपने हाथ पर डाल कर चेक कर ले ।

कान  की सफाई का विशेष ध्यान रखें । हर तीन चार दिनों के अंतर पर कान की सफाई करते रहे ।

 न सुनने की समस्या होने पर या कई तरह की आवाजें सुनाई देने पर तिल के तेल की दो दो बूंद डालें । और डाक्टर को दिखाएं ।

तेल  की थेरेपी के विषय मे फिर विस्तार से लिखूँगी ।



आगे और भी ............

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