Sunday 24 March 2013

होली के रंग कैसे कैसे

मित्रों होली आ गई है ! होली के इस हुडदंग से कोई शायद ही बच पाये । जिस प्रेम और अपने पन से होली का त्योहार मनाया जाता रहा है वह तो अब रहा ही  नही लेकिन होली के नाम पर हुड़दंग ही रह गया है। रासायनिक रंगो का प्रयोग  त्वचा व आँखों के लिए बेहद नुकसान दायक है । जिससे कई समस्याएँ उत्पन्न हो जाती  है जैसे त्वचा का झुलस जाना , छाले पड़ना , आँख  मे जलन , रोशनी का धूमिल हो जाना इत्यादि समस्याएं इन रासायनिक रंगों की वजह से ही हो जाती हैं । 

सर्व प्रथम तो हमे इन रंगों को ही न कहना होगा । और स्वयं ही घर पर हर्बल रंग बना लेने चाहिए ताकि हमारी त्वचा और आँखें बची रहें और इन रासायनिक रंगों को बढ़ावा न मिले ।

हर्बल रंग बनाने के लिए हम घर पर ही चुकंदर से गुलाबी रंग , टेसू ( पलाश ) के फूल से पीला रंग , हल्दी से पीला रंग , पालक से हरा रंग बना सकते है , बाजार मे हर्बल सूखे रंग अबीर गुलाल मौजूद है उनही से खेलें । और बच्चों को भी इन रंगों से ही खेलने को प्रोत्साहित करें ।

होली खेलने से पूर्व शरीर पर सरसों के तेल की मालिश करने से रंगों का कुप्रभाव ज्यादा नहीं होता । इसलिए सरसों का तेल बालों से लेकर पाँव तक अच्छे से लगा लें ।

रंगों के कारण यदि त्वचा पर कोई कुप्रभाव हुआ है तो तुरंत चन्दन का लेप लगा दें और रंग न खेलें ।
मुलतानी मिट्टी का लेप भी त्वचा को ठंडक प्रदान करता है इसमे एक छोटा टुकड़ा कपूर, आधा टी स्पून हल्दी और गुलाबजल मिलाकर लगाने से त्वचा को आराम मिलता है ।

एक टेबल स्पून मलाई , एक चुटकी बोरिक पावडर , एक छोटा टुकड़ा कपूर मिलाकर त्वचा पर लगाएँ आराम मिलेगा । इस पेस्ट को रंग खेलने से पूर्व भी लगा सकते है इससे त्वचा पर रंगो का असर ज्यादा नहीं होगा ।

दस बारह मूँगफली के दाने दूध मे भिगो कर फ्रिज मे रख दें और दो तीन घंटे बाद एकदम महीन पेस्ट बना लें अगर पेस्ट पतला हो जाए तो इसमे बेसन मिला लें , इस पेस्ट को उबटन की तरह लगाएँ सूखने के लिए छोड़ दें । सूख जाने पर रगड़ कर साफ कर दें त्वचा की जलन तो शांत हो ही जाएगी साथ मे रंग भी निखर आयेगा ।

गुलाब की पंखुड़ियाँ पीस कर लगाने से भी लाभ मिलता है ।


होली की बहुत बहुत शुभकामनायें ।

7 comments:

  1. बहुत सुंदर सार्थक और सटीक जानकारी
    दी आपने-------

    aagrah hai mere blog main bhi padharen

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  2. वाह बहुत सुन्दर लेख | बधाई

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    1. आप सबका धन्यवाद ।

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  3. नुस्खे तो तुमने बहुत ही अच्छे बताये है अननु मगर आज जिस महंगाई के दौर से हम गुज़र रहे हैं ऐसे में सब्जियों से रंग बनाना मुझे उचित नहीं लगता। एक और गरीब इंसान के पास खाने को सदा दाल रोटी भी नहीं और हम सब्जियों की बरबादी यूं रंग बनाने के लिए कर दें, मुझे गवारा नहीं, मैं तो सब्जियों और फलों को काटकर बनाए जाने वाले खूबसूरत सलाद के भी खिलाफ हूँ। जैसे तरबूज को काटकर बनाया गया कोई पक्षी, या इसी तरह कि अन्य कलाकारी क्यूंकि वो कारीगरी केवल दिखावे के लिए होती है। उसे खाता कोई नहीं...मगर हाँ तुम्हारे दूसरे सुझाव से में पूर्ण रूप से सहमत हूँ गुलाल से होली खेलो और बच्चों को भी उसी से खेलने के लिए पप्रोत्साहित करो उसी में सबका भला है। क्यूंकि न तो उससे किसी की त्वचा को नुकसान होगा और ना ही पानी की बरबादी।
    अगर ज्यादा बोल दिया हो तो भी बुरा न मानो होली है :)हमारी ओर से आपको एवं आपके सम्पूर्ण परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाए....

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  4. बहुत सराहनीय प्रस्तुति.बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. आभार !

    ले के हाथ हाथों में, दिल से दिल मिला लो आज
    यारों कब मिले मौका अब छोड़ों ना कि होली है.

    मौसम आज रंगों का , छायी अब खुमारी है
    चलों सब एक रंग में हो कि आयी आज होली है

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  5. apka blog mujhe bahut mahatvpoorn lagata ...swasthyvardhak jankauriyon se bhr poor hai ....Holi pr hardik badhai ke sath hi blog pr aamantran sweekaren .

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