आजकल हम आप देख ही रहे है कि भोजन शैली बड़ी ही विचित्र हो चुकी है। कुछ भी खा कर पेट भरने से मतलब वाली शैली ने पेट के रोगों को बढ़ावा दिया है। इस विषय पर हम विस्तार से चर्चा करेंगे।
हमारे पाचन तंत्र को मौसम के अनुरूप आहार विहार की आवश्यकता होती है तभी हमारा पाचन तंत्र हमारे शरीर को स्वस्थ व निरोगी रखने मे सहायक हो पाता है। इसी संबंध मे " अष्टांग हृदय सूत्र " मे कहा भी गया है -
" शीते वर्षासु चाद्दांख्रीन् वसंतेअन्त्यान् रसान् भजेत् ।
स्वादुं निदाघे, शरदि स्वादुतिक्त कषाय कान् ॥
शरद् वसंत्यो रूक्षं शीतं धर्मघनांत्योः।
अन्नपानं समासेन विपरीतमतोन्यदा ॥"
अर्थात :- शीत ऋतु (हेमंत और शिशिर) एवं वर्षा ऋतु मे मधुर, अम्ल, और लवण वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए। वसंत ऋतु मे तिक्त (चरपरे), कटु (कडवे), और कषाय(कसैले) रस वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए। ग्रीष्म ऋतु मे मधुर, तिक्त और कषाय रस वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
संक्षेप मे स्वास्थ्य की रक्षा के लिए ऐसा ऋतु अनुकूल आहार विहार करना चाहिए।
यहाँ गर्मियों के आहार विहार की चर्चा करेंगे, क्योकि इस मौसम मे हमारे शरीर का पानी पसीने के रूप मे निकल जाता है अतः जलीय पदार्थों का सेवन अधिक मात्रा मे करना चाहिए, ताकि शरीर मे शीतलता और तरावट बनी रहे । इसके लिए -
1) सुबह खाली पेट दो से तीन गिलास पानी पियें, यदि खाली पेट पानी न पीते हो या न पी पाते हों तो एक कप पानी से शुरू करें धीरे धीरे बढ़ाते जाएँ । इससे पेट साफ रहेगा और वायु तथा अम्ल रोगों की संभावना कम होगी ।
2) दिन मे बिना प्यास के भी दस से बारह बार पानी पीना चाहिए, घर से बाहर निकलते वक्त भी पानी पीकर ही निकलना चाहिए। इससे शरीर मे पानी की कमी नहीं होती और लू भी नहीं लगती ।
3) तरबूज , खरबूज , ककड़ी , खीरे , टमाटर , प्याज , लौकी, तोरई , परवल का सेवन अवश्य करना चाहिए ।
4) तली भुनी चीजें , मिर्च मसालेदार और भारी गरिष्ठ भोजन का त्याग ही उचित रहता है।
5) गर्मियों मे शाम का भोजन ताजा, हल्का, सुपाच्य और थोड़ी कम मात्रा मे ही करना चाहिए क्योंकि इस ऋतु मे रातें छोटी होती है और पाचन क्रिया को उतना समय नहीं मिलता जितना शीत ऋतु मे मिलता था ।
6) रात को देर रात भोजन नहीं करना चाहिए भोजन का समय बदल लें नौ बजे तक भोजन कर लें फिर चाहे सौ कदम ही टहलें पर टहलें ।
7) देर रात जागना पड़े पड़े तो कुछ खाते रहने की बजाय पानी पीते रहें ताकि पेट मे उष्णता न होने पाये । कुछ खाना ही चाहें तो फ्रूट ज्यूस पी लें या मुरमुरा (लइया) प्याज ,टमाटर हरी धनिया के साथ भेल बना ले इसे खाएं ।
हमारे पाचन तंत्र को मौसम के अनुरूप आहार विहार की आवश्यकता होती है तभी हमारा पाचन तंत्र हमारे शरीर को स्वस्थ व निरोगी रखने मे सहायक हो पाता है। इसी संबंध मे " अष्टांग हृदय सूत्र " मे कहा भी गया है -
" शीते वर्षासु चाद्दांख्रीन् वसंतेअन्त्यान् रसान् भजेत् ।
स्वादुं निदाघे, शरदि स्वादुतिक्त कषाय कान् ॥
शरद् वसंत्यो रूक्षं शीतं धर्मघनांत्योः।
अन्नपानं समासेन विपरीतमतोन्यदा ॥"
अर्थात :- शीत ऋतु (हेमंत और शिशिर) एवं वर्षा ऋतु मे मधुर, अम्ल, और लवण वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए। वसंत ऋतु मे तिक्त (चरपरे), कटु (कडवे), और कषाय(कसैले) रस वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए। ग्रीष्म ऋतु मे मधुर, तिक्त और कषाय रस वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
संक्षेप मे स्वास्थ्य की रक्षा के लिए ऐसा ऋतु अनुकूल आहार विहार करना चाहिए।
यहाँ गर्मियों के आहार विहार की चर्चा करेंगे, क्योकि इस मौसम मे हमारे शरीर का पानी पसीने के रूप मे निकल जाता है अतः जलीय पदार्थों का सेवन अधिक मात्रा मे करना चाहिए, ताकि शरीर मे शीतलता और तरावट बनी रहे । इसके लिए -
1) सुबह खाली पेट दो से तीन गिलास पानी पियें, यदि खाली पेट पानी न पीते हो या न पी पाते हों तो एक कप पानी से शुरू करें धीरे धीरे बढ़ाते जाएँ । इससे पेट साफ रहेगा और वायु तथा अम्ल रोगों की संभावना कम होगी ।
2) दिन मे बिना प्यास के भी दस से बारह बार पानी पीना चाहिए, घर से बाहर निकलते वक्त भी पानी पीकर ही निकलना चाहिए। इससे शरीर मे पानी की कमी नहीं होती और लू भी नहीं लगती ।
3) तरबूज , खरबूज , ककड़ी , खीरे , टमाटर , प्याज , लौकी, तोरई , परवल का सेवन अवश्य करना चाहिए ।
4) तली भुनी चीजें , मिर्च मसालेदार और भारी गरिष्ठ भोजन का त्याग ही उचित रहता है।
5) गर्मियों मे शाम का भोजन ताजा, हल्का, सुपाच्य और थोड़ी कम मात्रा मे ही करना चाहिए क्योंकि इस ऋतु मे रातें छोटी होती है और पाचन क्रिया को उतना समय नहीं मिलता जितना शीत ऋतु मे मिलता था ।
6) रात को देर रात भोजन नहीं करना चाहिए भोजन का समय बदल लें नौ बजे तक भोजन कर लें फिर चाहे सौ कदम ही टहलें पर टहलें ।
7) देर रात जागना पड़े पड़े तो कुछ खाते रहने की बजाय पानी पीते रहें ताकि पेट मे उष्णता न होने पाये । कुछ खाना ही चाहें तो फ्रूट ज्यूस पी लें या मुरमुरा (लइया) प्याज ,टमाटर हरी धनिया के साथ भेल बना ले इसे खाएं ।
sarthak jankari
ReplyDeleteutkrasht prastuti
aagrah hai mere blog main bhi sammlit hon khushi hogi
नोट कर लिया -आज्मायेगें! आभार !
ReplyDeleteaap aise hi hume jankari sada deti rahein.....
ReplyDeletezaruri jaankari deti hain aap ...
ReplyDeleteupyogi
ReplyDeleteBachav jaruri hai
आप सबका धन्यवाद ।
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